चाहता हूँ
उन्मुक्त हवाओं में
झूमूँ-गाऊँ
सलोनी बारिश में
जी भर नहाऊँ
मेरी भी शाखों पर
गौरैया फुदके
रोम-रोम से
जीवन छलके
पर
ऋतुओं,
तुमहारी छुअन से
अनजान हूँ
मैं ड्राइग रूम का पौधा
नये सौन्दर्य-बोध का
अभिशप्त प्रतिमान हूँ।
उन्मुक्त हवाओं में
झूमूँ-गाऊँ
सलोनी बारिश में
जी भर नहाऊँ
मेरी भी शाखों पर
गौरैया फुदके
रोम-रोम से
जीवन छलके
पर
ऋतुओं,
तुमहारी छुअन से
अनजान हूँ
मैं ड्राइग रूम का पौधा
नये सौन्दर्य-बोध का
अभिशप्त प्रतिमान हूँ।